महिलाओं को 'देवी' बनने का बड़ा शौक है तो दुर्गा बनो, काली बनो. और, सारे बलात्कारियों के संहार के लिए आगे आओ.
जब तक "देवी" बनकर अपनी रक्षा न करें महिलाएं-लडकियां, तब तक वे बस पूजा करने-करवाने के ही लायक! मंदिरों की शो-पीस देवी!!
महिलाओं पे हो रहे अत्याचार के लिए अनेक महिलाएं खुद भी जिम्मेवार. वे भी चाहती हैं कि उन्हें इस ज़ुल्म-बेबसी से बाहर निकालने कोई 'देवदूत' आये !!
इस नेट पे बैठीं महिलाओं के सात दिन के ट्विट देख लिए जाएँ. तो पता चल जाएगा कि वे महिला उत्पीडन विरोधी किसी गंभीर आंदोलन के लिए कितनी तैयार!!
इस नेट मीडिया में बहुत ही कम ऐसी महिलाएं हैं, जो महिला विरोधी मर्द सत्तात्मक व्यवस्था की सोच को खंडित कर रही हों.
पिता-पति-भाई-पुत्र की कमाई से आराम की जिंदगी जी रहीं यहां की कोई आधी महिलाओं को हाय-हेलो, चैटिंग, चोंचलेबाजी, घटियाराजनीति से फुर्सत नहीं!!
नेट मीडिया को पढ़े-लिखों का संसार भी माना जाता. जब यहां की तथाकथित "पढ़ी-लिखी" महिलाएं मर्दाना समाज की घटिया सोच को आगे बढ़ा रहीं हों तो...बाकी "अनपढों" से क्या उम्मीद की जाय!!
ये "पढ़ी-लिखी" महिलाएं ज्यादातर खुद को "मर्द" बनाने में ही जुटी दिख रहीं. जबकि "मर्द समाज" ने ही इनकी दुर्दशा कर रखी है!!
नेट मीडिया को पढ़े-लिखों का संसार भी माना जाता. जब यहां की तथाकथित "पढ़ी-लिखी" महिलाएं मर्दाना समाज की घटिया सोच को आगे बढ़ा रहीं हों तो...बाकी "अनपढों" से क्या उम्मीद की जाय!!
ये "पढ़ी-लिखी" महिलाएं ज्यादातर खुद को "मर्द" बनाने में ही जुटी दिख रहीं. जबकि "मर्द समाज" ने ही इनकी दुर्दशा कर रखी है!!
मर्दों की नक़ल करने के बजाय "मर्दों" के होश ठिकाने लगाने के काम जब तक ये "पढ़ी-लिखी" महिलाएं शुरू नहीं करतीं, महिला उत्पीडन जारी रहेगा.
महिलाओं को जातिवाद-धर्मवाद-दलवाद के चंगुल से बाहर आकर खुद की सुरक्षा, मर्यादा, सम्मान, स्वतंत्र अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए एकजुट होना ही पड़ेगा.
कोई “देवदूत” आसमान से नहीं उतरने वाला. उन्हें अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी. वे जान लें. और, महिलाओं को एकजुट करने के काम शुरू करें.
महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समितियां बनाने के काम में महिलाएं खुद आगे आएं. वरना, वे मर्दों-दलों-जातियों-धर्मों की गुलामी खटती रहेंगी.
सभी दलों में मोटे तौर पर “मर्दों” या मर्दाना सोच वाली महिलाओं का ही कब्जा. इसीलिए ये दल महिलाओं की समस्याओं के बुनियादी समाधान में अक्षम.