बलात्कार सहित महिला उत्पीडन के खिलाफ मुहल्ला स्तर पे काम हों
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इन समितियों का नेतृत्व महिलाओं के हाथ में ही हों
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* देशव्यापी बलात्कार विरोधी आंदोलन के साथ-साथ शहरों-गांवों में मुहल्ला समितियां गठित की जाएँ. जो महिला उत्पीडन-बलात्कार के खिलाफ मुहिम चलाये.
*महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति न सिर्फ बलात्कार के खिलाफ जागरण चलाये, बल्कि घरों के अंदर महिलाओं के प्रति अमानवीय बर्ताव पे भी नज़र रखे..
*महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति में हर तबके के नागरिक हों. उसका नेतृत्व भी हर तबके के हाथ हो. उसमें महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाएं.
*महिला उत्पीडन मुहल्ला समिति शुद्ध रूप से आम जनता की हो. सभी दलीय-निर्दलीय नागरिक अनिवार्य रूप से शामिल हों, तो ये एक मिसाल बन जाएगी.
*महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति लड़कों-पुरुषों की "बलात्कारी मानसिकता" को खत्म करने के लिए "नैतिक शिक्षा" के काम भी करे.
*बंगाल के गांवों में जब चोरी-डकैती बहुत बढ़ गयी थी, तब ऐसी मुहल्ला समितियां रात में चौकीदारी किया करती थीं. महिला मुद्दा तो और भी गंभीर बात.
*दलों-संगठनों व महिला संगठनों को महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति बनाने केलिए आगे आना चाहिए.इससे बलात्कार सहित महिला उत्पीडन पे रोक लगेगी..
*बलात्कार व अन्य प्रकार के अमानवीय महिला उत्पीडन के प्रति पुलिस-सरकारों की "मर्दाना सोच" को भी इन मुहल्ला समितियों के जरिए बदला जा सकेगा.
*महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति किसी भी प्रकार की सरकारी-दलीय सहायता के ही चले. इसे आम जनता अपनी पहल और खर्च पे चलाये.
*महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति का नेतृत्व मुख रूप से सुलझी हुई महिलाओं के हाथ ही हो. वो महिला झुग्गी-झोपड़ी की भी हो सकती हैं.
* जो लोग-दल-संगठन ईमानदारी से बलात्कार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, वे महिला उत्पीडन विरोधी
मुहल्ला समिति बनाने की पहल लेना शुरू करें.
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इन समितियों का नेतृत्व महिलाओं के हाथ में ही हों
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* देशव्यापी बलात्कार विरोधी आंदोलन के साथ-साथ शहरों-गांवों में मुहल्ला समितियां गठित की जाएँ. जो महिला उत्पीडन-बलात्कार के खिलाफ मुहिम चलाये.
*महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति न सिर्फ बलात्कार के खिलाफ जागरण चलाये, बल्कि घरों के अंदर महिलाओं के प्रति अमानवीय बर्ताव पे भी नज़र रखे..
*महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति में हर तबके के नागरिक हों. उसका नेतृत्व भी हर तबके के हाथ हो. उसमें महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाएं.
*महिला उत्पीडन मुहल्ला समिति शुद्ध रूप से आम जनता की हो. सभी दलीय-निर्दलीय नागरिक अनिवार्य रूप से शामिल हों, तो ये एक मिसाल बन जाएगी.
*महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति लड़कों-पुरुषों की "बलात्कारी मानसिकता" को खत्म करने के लिए "नैतिक शिक्षा" के काम भी करे.
*बंगाल के गांवों में जब चोरी-डकैती बहुत बढ़ गयी थी, तब ऐसी मुहल्ला समितियां रात में चौकीदारी किया करती थीं. महिला मुद्दा तो और भी गंभीर बात.
*दलों-संगठनों व महिला संगठनों को महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति बनाने केलिए आगे आना चाहिए.इससे बलात्कार सहित महिला उत्पीडन पे रोक लगेगी..
*बलात्कार व अन्य प्रकार के अमानवीय महिला उत्पीडन के प्रति पुलिस-सरकारों की "मर्दाना सोच" को भी इन मुहल्ला समितियों के जरिए बदला जा सकेगा.
*महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति किसी भी प्रकार की सरकारी-दलीय सहायता के ही चले. इसे आम जनता अपनी पहल और खर्च पे चलाये.
*महिला उत्पीडन विरोधी मुहल्ला समिति का नेतृत्व मुख रूप से सुलझी हुई महिलाओं के हाथ ही हो. वो महिला झुग्गी-झोपड़ी की भी हो सकती हैं.
* जो लोग-दल-संगठन ईमानदारी से बलात्कार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, वे महिला उत्पीडन विरोधी
मुहल्ला समिति बनाने की पहल लेना शुरू करें.
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