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मंगलवार, 14 जून 2011

5 JUNE रामलीला मैदान :एक छिपा हुआ सत्य एक प्रत्यक्षदर्शी के शब्दों में


दिल्ली के रामलीला मैदान में क्या हुआ था ४ और ५ जून की रात को ये आप में से अधिकांश लोग जानते हैं परन्तु शायद आप में से बहुतों ने वही सुना होगा जो आप को मीडिया ने बताया और मीडिया ने आप को वही बताया जो सरकार चाहती थी यद्यपि वहां पर उपस्थित बहुत से लोगों ने भी इस बारे में लेख लिखे थे परन्तु मुझे लग रहा है कि वो शायद मीडिया के शोर से कम है, इसलिए मुझे भी आप सभी को बताना चाहिए जो मैंने देखा था वहां पर ताकि आप लोगो को पता चल सके की वास्तव में वहां पर क्या हुआ था और की मिडिया ने इतना अधिक तोड़-मरोड़ दिखाया कि वास्तविकता से बहुत दूर हो गयी घटना. अलग-अलग बाते और बेसिर-पैर की बातो को चटकीला रुख दिया जा रहा था. वह की कष्टप्रद स्थिति की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा था | मैं रामलीला मैदान में ४ जून शनीवार की रात को 7 बजे से कुछ देर बाद पहुंचा था. मैं वहां पर बाबा के समर्थन में बैठने के विचार से गया था. मैं अनशन पर नहीं बैठ रहा था |
जब मैं पहुंचा तब बाबा की प्रेसवार्ता चल रही थी और सरकार के द्वारा फैलाये गए इस भ्रम का निवारण हो चुका था कि आन्दोलन समाप्त हो चुका है | बाबा पत्रकारों के सभी सवालों का पूरी प्रमाणिकता के साथ उत्तर दे रहे थे. कई प्रश्न थे परन्तु एक महिला पत्रकार का प्रश्न कुछ अधिक याद आ रहा है उसने पूछा था "बाबा जी , आप ने इतने लोगों के एकत्रित कर लिया और आप को अपनी गिरफ्तारी की आशंका भी है तो अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?" बाबा ने उत्तर दिया "हमारा कोई सत्याग्राही कोई हिंसा नहीं करेगा " |
इस पत्रकार वार्ता के बाद दो मुस्लिम व्यक्तियों ने सभा को संबोधित किया और इसके बाद बाबा रामदेव जी ने सभा को संबोधित किया और हमें निर्दश दिया कि सभी लोग पानी पीकर आयें और फिर विश्राम करें. सत्र की समाप्ति की घोषणा कर दी गयी. इसके कुछ समय बाद मंच की लाईट भी बंद हो गयी |हम लोग बाहर घूमने चले गए क्यूंकि मैं अनशन पर नहीं था, इसीलिए मैं चाय और नाश्ता करके वापस आ गया और फिर मैंने सोने के लिए मुख्य पंडाल के बाहर छोटे पंडाल में लेट गया. वहां पर बैठे कुछ और सत्यागाहियों से हमारी बात होती रही थी. रात को ११ बजे तक तभी एक स्वयंसेवक ने आकर हमसे सोने के लिए कहा क्योंकी हमारे जगने से दुसरे लोगों को असुविधा हो सकती थी और हम सभी रात को ११ बजे सो गए |
रात को अचानक मेरी नींद खुली तो मुझे मंच पर कुछ शोर सुनायी दिया और मंच पर कुछ प्रकाश दिखाई दिया मैंने अपने cell में तुरंत समय देखा तो समय १:02 था | मुझे किसी अनिष्ट की आशंका हो गयी थी क्योंकी बाबा ने पहले ही कह दिया था कि उनकी गिरफ्तारी हो सकती है. मैंने तुरन अपने पास सो रहे लगभग 4 या 5 लोगों को जगाया और फिर मैंने अपने जूते पहने और अपना सामान अपने बैग में रखकर मैं दौड़ कर मंच की तरफ जाने लगा (मैं वहां उपस्थित लोगों में से लगभग सबसे पीछे था) | मैं कुछ 200 मीटर ही गया था की माइक पर बाबा का स्वर सुनायी दिया "मैं यहीं हूँ .मैं आप सब के बीच ही हूँ और अंतिम समय तक आप के साथ ही रहूँगा आप सभी अपने स्थान पर बैठे रहें |"
ये शब्द सुन कर मैं वहीं पर कुछ लोगों के बीच बैठ गया अभी तक सभी लाईट जल चुकी थीं और शोर बढ़ता जा रहा था हर किसीको कुछ गलत होने की आशंका हो रही थी , बाबा ने पुनः बोलना शुरू किया "आप सभी लोग मुझसे प्यार करते हो ना .......तो सब लोग शांत हो जाओ और जो जहाँ बैठा है वहीं बैठा रहे. मैं आप लोगों के बीच ही हूँ मैं कहीं नहीं गया हूँ .......सब लोग अपनी जगह पर ही बैठे रहेंगे ......अब हम लोग ॐ शब्द का उच्चारण करेंगे " इसके बार समस्त उपस्थित जन समुदाय ने ३ बार ॐ शब्द का उच्चारण किया (इस समय तक मैं अपने मित्रों को SMS भेज कर घटना के बारे में बताने लगा था ताकि लोगों को पता चल जाय ).
इससे कुछ शांति हो गयी बाबा ने आगे कहा "आप सब लोग बिल्कुल शांत हो जाइये अब हम लोग गायत्री मन्त्र बोलेंगे " इसके बाद बाबा के साथ वहां उपस्थित समस्त जनसमुदाय ने एक बार गायत्री मन्त्र और एक बार महामृत्युंजय मन्त्र का उच्चारण किया | इसके बाद पूरे पंडाल में पूर्ण शांति छा गयी थी. १ लाख लोग पूर्ण अनुशासित थे और पंडाल में पूर्ण निः शब्दता (Pin drop silent ) ,इसके बाद बाबा ने आगे बोलना शुरू किया "पुलिस मुझे गिरफ्तार करने के लिए आयी है परतु अगर आप लोग मुझे प्यार करते हो तो आप में से कोई भी पुलिस के साथ धक्का मुक्की नहीं करेगा कोई चाहें जो भी स्थिति आ जाय आप लोग पुलिस पर प्रहार नहीं करेंगे पुलिसे को मुझे शांतिपूर्वक ले जाने देंगे सब लोग शांत हो जाय |"

हम लोगों को आशा थी कि शायद इसके बाद पुलिसे बाबा को गिरफ्तार करके ले जायेगी. इसके बाद बाबा ने फिर कहा कि "मुझे एक तार वाला माइक चाहिए क्योंकी इसकी बैटरी ख़तम हो सकती है और एक व्यक्ति चाहिए जो माइक को पकड़ सके " परन्तु शायद पुलिस तो कुछ और ही सोच कर आयी थी. वो बाबा की तरफ बढ़ने लगी. भक्तों के साथ मार-पीट करते हुए. बाबा ने फिर कहा "मेरा दो स्तर का सुरक्षा चक्र है , अन्दर वाले चक्र में बहने हैं और बाहर वाले चक्र में युवा हैं. पुलिसे इस चक्र को ना तोड़े. आपलोग मुझे गिरफ्तार करने आये हैं, मैं गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हूँ "लेकिन पुलिस इस समय तक महिलाओं और लड़कियों पर लाठियां चलाने लगी थी. बाबा ने फिर कहा "आप लोग बहनों के साथ धक्का मुक्की मत करिए " . लेकिन पुलिसे ने बाबा की कोई बात नहीं सुनी. बाबा ने फिर कहा "आप लोग एक पुलिस कर्मी होने से पहले एक भारतीय है. इस प्रकार से निहत्थों पर प्रहार मत करिए .इन लोगों ने आप का क्या बिगाड़ा है अगर यहाँ पर पुलिसे का कोई बड़ा अधिकारी है तो वो हमसे बात करे ......अगर पुलिस में कोई बड़ा अधिकारी है तो वो आकर हमसे बात करे हम गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हैं. "
लेकिन बाबा की इस अपील के जवाब में भी पुलिस की तरफ से लाठियां ही चलीं (अधिकारिक र्रोप से पुलिस का कहना है की वो बाबा वो सुरक्षा संबंधी खतरे के बारे में बताने के लिए गए थे ) इसके बाद बाबा ने भक्तों से कहा "आप सभी लोग पुलिस को यहाँ तक मत आने दीजिये घेरा बना लीजिये " बाबा के इस आदेश को सुन कर सभी लोग जो अपने स्थान पर बैठे हुए थे, वो दौड़ कर मंच की तरफ जाने लगे बाबा की रक्षा के लिए. हमें समझ में आ गया था, अब पुलिस के साथ संघर्ष हो सकता है | हम कुछ लोग पंडाल के बने गलियारे से होकर मंच के तरफ जा रहे थे. थोड़ी दूर चलने के ही बाद कुछ पुलिसकर्मी उस रस्ते को रोककर खड़े हुए थे , वो पुलिसकर्मी लाठियां लिए हुए थे और हेलमेट और बाकी सभी सुरक्षा उपकरणों से युक्त थे. मतलब वो सीधे-सीधे संघर्ष करने के प्रयास में थे और उन्होंने हम लोगों पर लाठियां चलानी शुरू कर दीं | हम लोग बिना कोई प्रतिरोध किये उस गलियारे को छोड़ कर बाईं तरफ से मंच की तरफ बढे और दौड़ कर मंच के पास पहुच गए |
उस समय तक मंच के पास बहुत भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी और बाबा भी मंच पर बाईं तरफ ही थे, तभी कुछ लोगों ने पीछे की तरफ ध्यान दिलाया तो पंडाल की बाईं तरफ से पुलिसकर्मी मंच की तरफ पहुँचने का प्रयास कर रहे थे| हम लोगों ने उन पुलिसकर्मियों को आगे नहीं बढ़ने दिया और मंच की तरफ जाने के रस्ते को घेर लिया. इससे वो पुलिसकर्मी वापस लौट गए. उनके वापस जाने के बाद हम लोग फिर से मंच के ठीक नीचे बाईं तरफ पहुँच गए थे और आगे क्या होगा, इसकी प्रतीक्षा कर रहे थे | तभी मंच पर चढ़े कुछ लोगों ने हमसे कहा की मंच के पीछे जाकर घेरा बनाओ, क्योंकी पुलिस पीछे से मंच पर चढ़ने की कोशिश कर रही है | हम लगभग 30 लोग मंच के पीछे चले गए और वहां पर जो पुलिस्कर्मे खड़े थे और मंच की तरफ जा रहे थे, उनके सामने घेरा बना कर खड़े हो गए | हम लोग वन्देमातरम और भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे |

हमारे घेरे के कारण तो वो पुलिसकर्मी कुछ पीछे हट गए और वहां लगे हुए एक लोहे के द्वार के ठीक बाहर खड़े हो गए. इस समय मैं सबसे आगे खड़े हुए 4 या 5 लोगों में से था. तभी उन पुलिसकर्मियों के अधिकारी ने उनको आदेश दिया हमें मारने का और उन पुलिस्स्कर्मियों ने हम पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी | यह एक विशुद्ध रूप से भगदड़ मचाने का प्रयास था, क्योंकी उस स्थान पर (मंच के पीछे) ना तो पर्याप्त प्रकाश था और ना ही जमीन ही समतल थी. इसलिए भगदड़ में गिरने की संभावना और चोटिल होने की संभावना बहुत अधिक थी (और शायद यही पुलिस का लक्ष्य था )| इस लाठीचार्ज के कारण हम लोगों को वहां से पीछे हटना पड़ा, परन्तु बिना किसी भगदड़ के और हमलोग फिर से मंच के पास आ गए बायीं तरफ, परन्तु इस समय तक बाबा हमें दिखाई नहीं दे रहे थे और हम मंच के पास ही खड़े थे और पूरी भीड़ मंच की तरफ ही बढ़ रही थी |
इसके लगभग १० मिनट के बाद मंच पर खड़े पुलिसकर्मियों के द्वारा अश्रु गैस का पहला गोला छोड़ा गया (लगभग उसी स्थान पर जहाँ पर बाबा अपने समर्थकों के बीच में गुम हो गए थे ). ये पुलिस का एक और भगदड़ मचाने का ही प्रयास था | आसू गैस का गोला आते ही मैंने अपना रुमाल गीला करके अपने मुह में बाँध लिया, क्योंकी मुझे अश्रु गैस के प्रभाव का पता था और इसके बाद जो लोग अभी तक बैठे हुए थे मैंने उनको उठाना प्रारंभ किया और बताया कि आंसू गैस के कारण कुछ भी दिखना बंद हो जाएगा या भगदड़ भी हो सकती है और भी बहुत से लोग ऐसा ही कर रहे थे | इस सबमें मैं सबसे आगे के कुछ लोगों में हो गया था और मुझे सब मुछ साफ साफ दिख रहा था | लोग इस सब के बाद अपने स्थान पर खड़े तो हो गए थे परन्तु पीछे हटने के लिए कोई तैयार नहीं था | इस सब के बीच में अफरातफरी और धुएं के कारण बाबा लोगों को दिखाई देना बंद हो गए थे |
वहां पर उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति का यही मत था कि अगर बाबा को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है तो हम अनशन और सत्याग्रह जारी रखेंगे | इसके बाद अश्रु गैस के गोले भारी मात्र में चलने लगे थे मंच के ऊपर से और अगर आंसू गैस के गोलों की संख्या के बारे में कुछ मानक होते हैं तो उसका निश्चित रूप से उल्लंघन हुआ होगा | मुझे केवल धुएं के कारण 100 मीटर दूरी की चीज भी नहीं दिखाई दे रही थी (पुलिस के अनुसार १८ गोले चलाये गए थे |) |पुलिसकर्मी अब पूरी शक्ति से लाठियां भी चलाने लगे थे और वो हर किसीको मार रहे थे. हम लोग तो लाठियां खाने के लिए थे , परन्तु शायद महिलाओं से तो महिला पुलिस निपटती है , लेकिन वहां पुरुष पुलिसकर्मी ही महिलाओं पर भी लाठियां चला रहे थे (आपने अगर महिला पुलिस्कर्मियों की कोई फोटो देखि है तो वो शायद वहां पर केवल फोटो के लिए ही बुलाई गयी होंगी, कारवाई में वो नहीं थीं ). यही नहीं वृद्धों और 8 वर्ष के बच्चों पर भी लाठियां चलायी जा रही थीं |
इस सत्याग्रह में लोग सारे देश से आये थे और लम्बे समय तक रुकने के लिए आये थे | इस स्थिति में उनके पास बहुत सामान था और उसे उठाकर भागा नहीं जा सकता था, लेकिन पुलिस कर्मी बाहर निकल रहे लोगों को भी मार रहे थे | सत्याग्रही भूखे थे नींद में थे, जबकी पुलिसकर्मी पूरी तरह से तैयार थे | सत्याग्रहियों के पास भरी सामान था जिसको लेकर तेज गति से चलना भी संभव नहीं था और पुलिसकर्मियों के पास लाठी , हेलमेट और अन्य सुरक्षा उपकरण थे | सत्याग्रही 8 वर्ष के बच्चे भी थे 70 वर्ष के बुजुर्ग भी और पुलिसकर्मी सभी युवा. लेकिन फिर भी पुलिसकर्मी हिंसक थे और सत्याग्रही शांत. पुलिसकर्मी हुडदंगी और दंगाई थे जबकी सत्याग्रही शांत और अनुशासित थे | सत्याग्रहियों ने न तो कोई भगदड़ होने दी और न ही पुलिसकर्मियों पर प्रहार किया क्योंकी बाबा ने हमें ऐसा करने से मना किया हुआ था (अगर आपने कोई समाचार सुना है तो आप पत्रकारों की कल्पनाशीलता की प्रशंसा कर सकते हैं |)
मैंदान से निकलने के लिए केवल एक छोटा-सा दरवाजा था, जिससे एक बार में केवल एक या दो लोग ही निकल सकते थे (जो दो आपातकालीन दरवाजे बनाये गए थे, उनका भी प्रयोग नहीं किया गया. लोगों को निकलने के लिए इससे बड़ा आपातकाल क्या हो सकता था ) ??? मैं बाहर निकलने वाले अंतिम शायद 100 लोगों में से था | जब हम लोग हटते हुए दरवाजे तक आ गए थे तो वहां भीड़ बहुत ज्यादा हो गयी थी क्योंकी निकलने के लिए एक छोटा ही दरवाजा था और पुलिस को ये दिख भी रहा था. परन्तु पुलिस तब भी अंत तक लाठियां चलाती रही ताकि किसी तरह से भगदड़ मच जाय लेकिन सभी सत्याग्रही अत्यंत अनुशासित थे, इसलिए वहां ना तो कोई भगदड़ हुई और ना ही कोई हादसा |
तभी किसी ने ऊँचे स्थान पर चढ़ कर कहा कि "अब हम लोगों को जंतर मंतर जाना धरना देने के लिए. संपूर्णानंद जी आ रहे हैं उच्चाधिकारियों की तरफ से आदेश आया है "| ये सुन कर मैं भी रामलीला मैदान से बाहर आ गया | इस सब में केवल 2 घंटे का समय ही दिया गया, जिसमे राम लीला मैदान खाली करना था और मैदान में १ लाख लोग थे | जलियावाला बाग़ कांड इतिहास से निकल कर वास्तविकता में आ गया था. सामने फिर यह सिर्फ बाबा की वाणी का ही प्रभाव था कि लोगो ने सयम रखा नहीं तो पुलिस बार-बार यह प्रयास कर रही थी कि सत्याग्रही भड़क कर प्रतिरोध करे और 8000 (जी हाँ 5000 केवल सरकारी आंकड़ा है) पुलिस को गोलियां चलाने का बहाना मिले | वहा से कैमरे चोरी कर लिए गए और एडिट करके दिखाया जा रहा है | (इसके बाद भी बताने के लिए बहुत कुछ है और आप लोग सुनना चाहेंगे तो बता दूंगा देहरादून से वापस आ कर. अब मैं देहरादून जा रहा हूँ|)

(यह आंखों देखा हाल फेसबुक में संगीता जैन के पृष्ठ से साभार लिया गया है.)

4 टिप्‍पणियां:

  1. " very true sir ..bilkul aisa hi huva tha vahan aur is ghatana ko hamare samaksh rakhane ke liye aapka tahe dil se sukriya sir "

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  2. Aap ye kyoin nahi bata rahe ki stgrhi ram kishan yadav bhaga kyoin? Yadi bhagna hi tha to wahan gaya kyoin? Wah mahiliyoin ke beech kya kar raha tha? Kya une kapde utaar rah tha pahine ke liye? Usne manh par hi girftaari kyoin nahin di?

    Anupam Bhandari, Tehri, Uttarakhand

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  3. ek chingari kaafi hai tera aashiyan jalane ke liye!

    Bada nadan hai tu to sholo ko hawa deta hai!!

    Hume to bane rehna hai insaan so chup baithe hai!

    Our tu samajhta hai, har awaz daba deta hai!!

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