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शनिवार, 1 सितंबर 2012

दलाल मीडिया पे इतना यकीन क्यों? सर्वे समीक्षा भाग-एक


अभी हाल में ही अरविन्द की एनजीओ टीम द्वारा एबीपी न्यूज- नीलसन द्वारा कराये एक सर्वेक्षण की यहां समीक्षा की जा रही है. इस सर्वेक्षण को अरविन्द टीम इस तरह पेश कर रही मानो एकदम से जनमत सर्वेक्षण करवा लिया गया हो. ऐसे में इसकी समीक्षा जरुरी. यह समीक्षा का पहला भाग है. जिसमें सर्वेक्षण करने वाली मीडिया पे ही मुख्य रूप से चर्चा की गयी है. अगले भाग में सर्वेक्षण के सतहीपन पे होगी चर्चा.

१. इस तरह के कांग्रेसी टाइप सर्वे कराना ही अपने आपमें एक अस्वस्थ परम्परा है. ऐसे सर्वेक्षण वैसे पूंजीवादी-भ्रष्ट दल कराना पसंद करते, जिन्हें जनता को गुमराह कराना होता है.

२. ये सर्वेक्षण खुद अन्ना आन्दोलन से जुड़े ईमानदार-सच्चे कार्यकर्ताओं से कराया जाता, तो वो इससे कहीं अधिक विश्वसनीय माना जाता. भले ही कुछ लोग इसपे उंगलिया उठाते रहते.

३. या फिर, आम जनता के बीच से कुछ अच्छे-ईमानदार लोगों की बड़ी टीम बनाकर भी ये काम कराया जा सकता था, कराया जा सकता है. उसके नतीजों पे कम से कम उंगलियां उठतीं या उठेंगी.

४. ऐसा न करके इस "फास्ट फ़ूड" ज़माने के कुछ लोगों ने बड़ी हडबडी में एक-दो भ्रष्ट व्यावसायिक मीडिया-एजेंसी से ये काम करवाया. ये एक भूल है.

५. सबसे पहले इस एबीपी की असलियत को जान लिया जाय. एबीपी मूलतः एक जनलोकपाल विरोधी कंपनी है. इसके चैनलों में जन लोकपाल का पूरा विरोध हुआ करता था.

६.ये एबीपी उस स्टार न्यूज से जुडी कम्पनी है, जो कि दलाल मीडिया के नाम  से ही कुख्यात है. और, जहाँ ज्यादातर अन्ना आन्दोलन में फूट डालने के ही काम होते रहते. जिसे अब एबीपी ने "खरीद" लिया.

७. एबीपी उस आनंद बाज़ार पत्रिका समूह का ही एक अंग है, जो बुनियाद रूप से महाभ्रष्टों का ही मीडिया है. जहाँ जन लोकपाल के खिलाफ ज़हर ही उगला जाता है.

८. आनंद बाज़ार पत्रिका, एबीपी हर तरह के जन आंदोलनों का विरोधी. सिंगुर आन्दोलन का भी पूरा विरोध किया है. अब भी उस मामले में टाटा की दलाली में जुटा हुआ.

९. आनंद बाज़ार पत्रिका, एबीपी और "स्टार न्यूज" की यह दलाल मीडिया तिकड़ी भला कबसे अन्ना आन्दोलन की समर्थक हो गयी? इसपे गंभीरता से सोचा जाय.

१०. इस दलाल मीडिया का संपर्क अरविन्द टीम से कैसे हुआ, ये तो वे ही जानें. मगर, जिसने भी कराया, उसपे विश्वास करना घातक होगा.

११. २५ जुलाई के वक्त से ही यह दलाल मीडिया अन्ना आन्दोलन भक्त बना दिख रहा!! यह बड़े  ताज्जुब की बात!! जो मीडिया कोलकाता के अन्ना आन्दोलन की खबर एक लाइन भी नहीं देता, वो २४ घंटे लाइव देने लगता है जतर-मंतर से!! वाह!! ये तो बड़े जादू की बात है!!!!!

१२. इस लाइव कवरेज के लिए कितने पैसे खर्च हुए, ये तो अरविन्द की एनजीओ टीम ही जाने.

१३. और, इस एबीपी न्यूज-नीलसन के "फास्ट फ़ूड" सर्वे में कितने पैसे  लगे, ये भी वही एनजीओ टीम जाने. लेकिन, इस सर्वे में अन्ना आन्दोलन के चंदे का दुरूपयोग हुआ है, तो यह एक अपराध ही माना जाएगा.

 (दूसरा भाग आज ही जारी किया जाएगा).





1 टिप्पणी:

  1. सामाजिक कार्यों के लिए मिले धन का ऐसा दुरुपयोग इनके गुप्त इरादों की तरफ इशारा करता है ...

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