वोटिंग मशीन को
फुलप्रूफ होना जरूरी – विशेषज्ञ
विशेष
संवाददाता
(2009 लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद ही ईवीएम पे मेरे द्वारा उठाये प्रश्नों की पुष्टि बाद में अनेक विशेषज्ञों ने की. उनमें ही एक हैं नेट इंडिया ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के प्रमुख हरिकुमार प्रसाद. मेरे द्वारा उठाये गए सवाल के बाद आडवाणी ने भी इसपे अपनी गहरी चिंता व्यक्त की. उसके आबाद वे यह मुद्दा लगभग "भूल" गए. मगर सुब्रह्मण्यम स्वामी ये मुद्दा उठाते रहे. अब भी उठा रहे.)
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(2009 लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद ही ईवीएम पे मेरे द्वारा उठाये प्रश्नों की पुष्टि बाद में अनेक विशेषज्ञों ने की. उनमें ही एक हैं नेट इंडिया ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के प्रमुख हरिकुमार प्रसाद. मेरे द्वारा उठाये गए सवाल के बाद आडवाणी ने भी इसपे अपनी गहरी चिंता व्यक्त की. उसके आबाद वे यह मुद्दा लगभग "भूल" गए. मगर सुब्रह्मण्यम स्वामी ये मुद्दा उठाते रहे. अब भी उठा रहे.)
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नई दिल्ली : वोटिंग मशीन में हेरफेर करके किसी दल विशेष की
जीत को सुनिश्चित किया ही जा सकता है। यह किसी राजनीतिक दल के नेता का आरोप नहीं,
बल्कि सूचना-प्रौद्योगिकी से जुड़े एक विशेषज्ञ की राय है। नेट इंडिया ग्रुप ऑफ
इंडस्ट्रीज के प्रमुख हरिकुमार प्रसाद का कहना है कि ईवीएम (वोटिंग मशीन) के
दुरुपयोग को रोकने के लिए वेरीफिकेशन टूल का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाना
चाहिए।
हरि कुमार प्रसाद
भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (भेल) के वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं। पिछले महीने
अकेले हरि कुमार प्रसाद ने ही नहीं, बल्कि नागपुर के जनचैतन्य वेदिका नामक संगठन
के संयोजक वी. वी. राव ने एक प्रेस सम्मेलन में पत्रकारों दिखाया कि किस तरह
वोटिंग मशीन में जानबूझ कर किसी दल विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए उसे मैनुपुलेट
किया जा सकता है।
गौरतलब है कि कांग्रेस,
द्रमुक, राकांपा पर आरोप लग रहे हैं कि 2009 लोकसभा चुनावों में वोटिंग मशीन में
हेरफेर करके बहुमत के करीब सीटें हासिल की गयीं। खासकर तमिलनाडु, आंध्र राजस्थान
और महाराष्ट्र में। इसी आरोप के तहत अन्ना द्रमुक ने हाल ही में हुए उपचुनावों का
बहिष्कार भी किया। इतने बड़ा आरोप लगाने और उसे साबित कर दिखाने के बावजूद चुनाव
आयोग ईवीएम में गड़बड़ किए जाने की संभावना से लगातार इंकार कर रही है। गौरतलब यह
भी है कि चुनाव आयोग के तीनों आयुक्तों को कांग्रेसी समर्थक माना जाता है। इस पर
काफी हंगामा भी हो चुका है।
ईवीएम में हेरफेर
का मामला सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस ने उठाया था। हालांकि 1990 में बंगाल सीपीएम
के नेता बिमान बसु ने ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता पर अंगुली उठायी थी। अब तृणमूल
कांग्रेस, सीपीएम, भाजपा, पासवान, लालू, जयललिता, मायावती, शिवसेना आदि भी ईवीएम
की विश्वसनीयता पर अंगुली उठाने लगे हैं।
हरि कुमार प्रसाद
का कहना है कि ‘ईवीएम को एक माइक्रो कंट्रोलर संचालित करता है। ‘ट्रोजन
हाउस’ नामक एक विकृत कंप्यूटर कोड के जरिए ईवीएम को संक्रमित
करके प्रोग्राम में फेरबदल कर दिया जाता है। किसी एक उम्मीदवार या दल के पक्ष में
इस तरह से प्रोग्राम में फेरबदल किया जा सकता है, जिससे उसे एक निश्चित वोट फीसदी
प्राप्त हो जाए।’
सूचना
प्रौद्योगिकी के इस रहस्योद्घाटन के बावजूद चुनाव आयोग चुप्पी साधे हुए है या फिर
ईवीएम को ‘ब्रह्म सत्य’ बताने में
तुला हुआ है। चुनाव आयोग के इस रवैए से भी साबित होता है कि दाल में जरूर कुछ काला
है।
हरि कुमार का
कहना है कि ‘कंप्यूटर चिप बनाते समय भी ईवीएम में गड़बड़ी पैदा
की जा सकती है। मुश्किल यह है कि उसे पकड़ पाना संभव नहीं। इसीलिए वेरीफिकेशन टूल
की मदद लिया जाना जरूरी है। इससे पता चल जाएगा कि माइक्रो-कंट्रोलर में कोई गड़बड़ी
तो नहीं।’
हरि कुमार का एक
सुझाव यह भी है कि ऐसा इंतजाम हो ताकि ईवीएम में मतदान करने के साथ ही साथ एक
स्लिप बाहर आ जाए, जिसमें लिखा होगा कि उक्त वोट किसे दिया गया। ठीक उसी तरह जिस
तरह बैंकों के एटीएम मशीन से पैसा निकालने के बाद एक स्लिप बाहर आती है, जिससे पता
चल जाता है कि उस वक्त कितने रुपए निकाले गए और कितना शेष बचा। अमेरिका के
कैलिफोर्निया के ईवीएम में स्लिप आने का इंतजाम किया गया है।
उनकी राय है कि
बैलेट की वापसी के बजाए ईवीएम का ही उपयोग हो, मगर धांधली के सारे रास्ते बंद कर
दिए जाएं। ईवीएम का फूलप्रूफ होना जरूरी है। (समाप्त)
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