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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

सिब्बल की बौखलाहट का राज!

सिब्बल महाशय बौखलाए हुए हैं. उन्हें जन लोकपाल क़ानून से कोई फायदा होता नहीं दिखता. सही बात है. जन लोकपाल क़ानून से सिब्बल सहित तमाम कांग्रेसियों और तमाम भ्रष्ट नेताओं तथा अन्य भ्रष्टों को कोई लाभ नहीं होने वाला है, बल्कि भारी नुकसान ही होगा. ये लोग लाखों-करोड़ों-अरबों का घोटाला नहीं कर पाएंगे.

ऊपर से जेल की हवा भी कहानी पड़ेगी, क्योंकि अब तक जो घोटाले हुए हैं उनकी भी तो जांच होनी है. सिब्बल सहित सभी कांग्रेसियों तथा अन्य नेताओं की पूरी नामी-बेनामी संपत्ति की जांच होगी. उनके परिवार की आय की भी जांच होगी. ऐसे में सिब्बल जैसे नेताओं-कांग्रेसियों को इस क़ानून से फायदा भला कैसे मिलेगा!!

अन्ना ने जब उनसे इस्तीफा मांग लिया तो वे बड़े मासूम बच्चे की तरह प्रेस से कहते हैं, "मैंने तो यह कहा था कि ग़रीबों की समस्याएं लोकपाल क़ानून से समाप्त नहीं होने वाली. इस क़ानून से भ्रष्टाचार दूर होगा. लेकिन सारी समस्या दूर नहीं होगी." सही बात!! और जीवन के हर क्षेत्र में फैला है यह भ्रष्टाचार. भ्रष्टाचार दूर होने से अनेक समस्याएं वैसे ही दूर हो जाएंगी या नहीं तो कम से कम कम तो हो ही जाएंगी.

जैसे कि कालाबाजारी, जमाखोरी, सट्टेबाजी पर रोक लग जाय तो महंगाई पर भी लगाम लग जाएगी. महंगाई कम होने से ग़रीबों को दो जून का भोजन भर पेट मिल सकेगा. तो एक समस्या थोड़ी कम हुई या नहीं.

जैसे कि सिब्बल के निजी स्कूलों द्वारा अनाप-शनाप चंदे लेने बंद करवा दिये जाएं तो मध्य वर्ग की मुश्किलें ज़रा कम हो जाएंगी. इस तरह के चंदे भी तो भ्रष्टाचार ही हैं.

तो सिब्बल जी, जन लोकपाल क़ानून आने से जनता की अनेक समस्याएं कम होंगी और दूर भी होंगी. आप लोग बिना हिला-हवाला किये बिना एक बहुत ही कड़ा क़ानून तो बनने दें. आप लोग तंग अडाते रहेंगे तो जनता की समस्याएं दूर कैसे होंगी.

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