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सोमवार, 11 अप्रैल 2011

लोकपाल क़ानून में महंगाई मुद्दा शामिल हो.

अन्ना हजारे सहित सबसे मेरा अनुरोध है कि इस महा-अभियान में महंगाई मुद्दे को जरुर शामिल किया जाय..

इससे १०० करोड से अधिक जनता बुरी तरह पीड़ित है. यह बताने की जरुरत नहीं है.

महंगाई भी सीधे या कहीं-कहीं परोक्ष रूप से भ्रष्टाचार-अत्याचार से जुड़ा मामला है. अन्ना सहित आप सब अपने भाषणों-वक्तव्यों में इस मुद्दे को भी उठाएं तो बड़ा अच्छा हो. जैसे कि अन्ना किसान-मजदूर-गांव की भी बातें उठाया करते हैं.

लोकपाल विधेयक में कालाबाजारियों-जमाखोरों-सट्टेबाजों के खिलाफ भी प्रावधान होने जरुरी हैं. अनिवार्य खाद्य वस्तुओं की सट्टेबाजी रोकने के भी उपाय किये जाने चाहिए. सट्टेबाजी को कानूनी बना देने के बावजूद यह गरीब विरोधी- जन विरोधी भ्रष्टाचार ही तो है.

कालाबाजारियों-जमाखोरों और उन्हें संरक्षण देने वाले लोगों के खिलाफ भी कड़े क़ानून बनाने जरुरी हैं.

मैं निजी तौर पर फांसी के पक्ष में नहीं हूं, लेकिन देश की करोड़ों जनता को भूखा मरने की साजिश करने वालों के लिए फांसी की सजा समय की मांग बन गयी है.

लोकपाल विधेयक में तमाम तरह के उच्च स्तरीय भ्रष्टाचारियों के लिए फांसी की सज़ा निहायत जरुरी हो गयी है. इसका प्रावधान होना ही चाहिए.

प्रधान मंत्री, मुख्य मंत्री को भी सज़ा के दायरे में लाया जाय। वरना आइंदे सारे भ्रष्टाचार प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्री अपनी देख-रेख में चलाया करेंगे और लोकपाल क़ानून आँसू बहाता रहेगा.



इसके अलावा बिना पैसे या बहुत कम (न्यूनतम जरुरी खर्च) से चुनाव लड़ने के लिए चुनाव सुधार भी करना जरुरी है। वरना भ्रष्टाचार पर पूरा लगाम नहीं लग सकेगा।

राईट टू रिकॉल का क़ानून भी बनाया जाय।

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