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बुधवार, 21 सितंबर 2011

आडवाणी की बेबसी या कोई शतरंजी चाल

वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संकेत दिया कि वह प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की दावेदारी की होड़ में शामिल नहीं हैं और इस शीर्ष पद पर उन्हें जो कुछ मिल सकता था, उससे कहीं बहुत ज्यादा संघ परिवार, पार्टी और सहकार्यकर्ता उन्हें दे चुके हैं।

आडवाणी ने कहा कि मैं बस यही कह सकता हूं कि मैं पहले आरएसएस का स्वयंसेवक बना, फिर जनसंघ का एक सदस्य और फिर भाजपा का सदस्य बना। मैं अनुभव करता हूं कि मुझे इन संगठनों से, अपने सह कार्यकर्ताओं से जो मिला है और देश ने मुझे जो कुछ दिया है वह प्रधानमंत्री के पद से बहुत ज्यादा है।

उन्होंने यह बात आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ बैठक के बाद पत्रकारों को एक सवाल के जवाब में कही।

ऐसी रिपोर्टें थी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यात्रा शुरू करने की आडवाणी की योजना से आरएसएस नाराज है। भ्रष्टाचार के खिलाफ इस यात्रा को अगले आम चुनाव में आडवाणी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी के तौर पर देखा जा रहा था।

आडवाणी से जब पूछा गया कि इस यात्रा के पीछे क्या यह मंशा है तो उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इनका आपस में कोई संबंध नहीं है। पूर्व उप प्रधानमंत्री ने दावा किया कि वह अपनी यात्रा के लिए आशीर्वाद लेने के उद्देश्य से नागपुर आए हैं।

आडवाणी ने कहा कि मैंने आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत से भेंट की और उनका आशीर्वाद मांगा। उन्होंने मुझे पूरा समर्थन और आशीर्वाद दिया और यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं।

पूर्व उप प्रधानमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से भी मुलाकात की और उनकी सेहत की जानकारी ली। गडकरी का 12 सितंबर को आपरेशन हुआ है और वह स्वास्थ्यलाभ कर रहे हैं।

आडवाणी ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष 24 सितंबर को दिल्ली आएंगे। मैंने उनसे यात्रा की घोषणा करने का आग्रह किया है। तब तक यात्रा की योजना पूरी हो जाएगी।

जब उनसे यात्रा के ब्योरे के बारे में पूछा गया तो आडवाणी ने कहा कि 11 अक्तूबर को दिग्गज समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण का जन्मदिन है और यह यात्रा शुरू करने की अस्थायी तिथि थी। सूत्रों का कहना है कि यात्रा संभवत: बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा से शुरू होगी। सिताबदिया जेपी की जन्मस्थली है।

भागवत से मुलाकात को सामान्य बतातेते हुए पूर्व उप प्रधानमंत्री ने कहा कि हम उन सभी से भेंट करते हैं जो यात्रा में कोई बड़ा योगदान कर सकते हैं। वह भाजपा-राजग शासित राज्यों में जाएंगे। उन्होंने इस पर जोर दिया कि कुछ कमियों के बावजूद ये राज्य अन्य के मुकाबले ज्यादा अच्छी तरह शासित हैं।

पूर्व उप-प्रधानमंत्री ने कहा कि 2008 के नोट के बदले वोट कांड और टूजी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाला की जेपीसी जांच की विपक्ष की मांग पर 2010 में संसद के शरदकालीन सत्र के नहीं चलने के चलते उन्होंने इस यात्रा के बारे में सोचा।

आडवाणी ने कहा कि यात्रा के लिए उनकी योजना तब दृढ़ हुई जब व्हिसिलब्लोअर के रूप में काम करते हुए घोटाले का पर्दाफाश करने वाले हमारे दो सांसदों को जेल भेज दिया गया जबकि उन्होंने एक अच्छा काम किया था और लोकतंत्र की महान सेवा की थी।

पूर्व उप प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने संसद में वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी और गृहमंत्री पी. चिदंबरम का नाम लिया था और उन्हें कहा कि अगर ये दो सांसद दोषी हैं तो वह उनसे कहीं ज्यादा दोषी हैं और उन्हें भी तिहाड़ जेल भेज देना चाहिए।

2 टिप्‍पणियां:

  1. किरण जी, मैंने पहली बार ऐसा लेख पढ़ा जो सचमुच ही निस्पक्छ हो, मुझे ये तो नही पता की आपकी राजनितिक झुकाओ किसकी ओर है , मगर एक इंसान का निष्पक्ष होना उसकी महानता का प्रतीक है,

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  2. माधव जी, शुक्रिया. इस ब्लॉग में और भी कई लेख हैं. उन्हें पढ़ कर मेरे झुकाव को समझा जा सकता है.

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