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बुधवार, 27 अप्रैल 2011

अन्ना हजारे का देशव्यापी दौरा शुरू

आखिरकार अन्ना हजारे का देशव्यापी अभिया शुरू हो गया. सबसे पहले वे ऊतार प्रदेश का दौरा करेंगे. दिल्ली के करीब होने और सबसे बड़ा राज्य होने के कारण ही यह फैसला लिया गया. वैसे भी वहाँ के लोग मायावती के मनमाने राज से विरक्त हो चुके हैं. इसीलिए इस अभियान को अच्छे समर्थन की उम्मीद की जा रही है.

भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की तोप का मुंह अब उत्तर प्रदेश की ओर है. वे इसी शुक्रवार को बनारस से अपनी मुहिम शुरू करेंगे. अन्ना हजारे का काफिला बनारस से सुल्तानपुर होते हुए रविवार पहली मई को लखनऊ में सभा करेगा.

मायावती ने अन्ना हजारे से सीधे मोर्चा लेते हुए प्रस्तावित जन लोक पाल विधेयक की मसौदा समिति में दलित प्रतिनिधि न होने के लिए उन्हें गुनहगार बता दिया है. साथ ही समिति के संदिग्ध सदस्यों से दूरी बनाने की सलाह भी दी है.

मायावती की आपत्ति और सलाह अपनी जगह. लेकिन इस बात से कौन इनकार करेगा कि उत्तर प्रदेश पिछले कई सालों से लगातार भ्रष्टाचार में डूबता जा रहा है. मायावती ने स्वयं हाल ही में अपने दो मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोप में हटाया है.

हर जुबान पर चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों से अवैध वसूली के आरोप लगते रहे हैं. और यह भी किस तरह दो बिजनेस परिवार यहाँ हर सरकारी ठेका पा रहे हैं.

इससे पहले जो सरकार थी उस पर भी दो चार बिजनेस घरानों को ही फायदा पहुंचाने के आरोप लगते रहे हैं. पूर्ववर्ती सरकार के साथ कम कर चुके दो पूर्व मुख्य सचिवों को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाना पड़ा.

सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में कई बार कह चुकी है कि वर्तमान मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में उसकी चार्जशीट तैयार है.

सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश पर सी बी आई इनसे पहले वाले मुख्यमंत्री के खिलाफ भी आय से अधिक मामले की जांच कई साल से कर रही है.

सरकार जनता के पैसे से चलती है. सरकारी सेवक और जन प्रतिनिधि जनता के टैक्स के पैसे से वेतन और तमाम सुख सुविधाएँ पाते हैं. लेकिन वही नागरिक जब किसी काम से, मसलन राशन कार्ड , जाति प्रमाणपत्र, जन्म- मृत्यु प्रमाणपत्र , पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस आदि के लिए सरकारी दफ़्तर जाता है तो उसे परेशानी का सामना करना पड़ता है.

कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश की जनता भी भ्रष्टाचार से आजिज है. लोगों को अन्ना हजारे से बहुत उम्मीदें भी हैं. उनके दो-एक साथियों के खिलाफ दुष्प्रचार की हवा निकाल जाने से अन्ना आन्दोलन की विश्वसनीयता बढ़ी है. और अमर सिंह तथा दिग्विजय सिंह जैसों की साख और अधिक खराब हुई है.

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