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सोमवार, 18 अप्रैल 2011

मीडिया का शीर्षासन

कल तक अपने पाँव पर खड़ी मीडिया अब सिर के बल खड़ी हो गयी है. यह पूरी मीडिया के बारे में नहीं कहा जा रहा. बल्कि मीडिया के एक हिस्से के बारे में यह बात सोलह आने सच है.

भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना हजारे के आंदोलन को मीडिया के स्वतःस्फूर्त समर्थन को देख अनेक भ्रष्टाचारियों की नींद हराम हो गयी थी. अगर यह आंदोलन महज धरने-प्रदर्शन आदि जैसे कार्यक्रमों तक ही सीमित होता तो इन भ्रष्टाचारियों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था. खुद अनेक भ्रष्टाचारी रोजाना क्लबों, चैनलों, समारोहों में बैठकर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के खिलाफ आग उगलते दिख जाते हैं. क्योंकि ऐसी बहसों से भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगने वाली.

लेकिन जब इन्हें (भ्रष्टों को) लगा कि इस बार अन्ना हजारे के आंदोलन से सचमुच ऐसा कुछ होने होने जा रहा है कि हर रंग के जन-विरोधी और देश-विरोधी भ्रष्टाचारियों को जेल की हवा खानी पड़ जाएगी, तब ये असली रूप में सामने आने लगे हैं. कुछ लोग अब भी परदे की आड से अपनी साजिश चला रहे हैं, लेकिन इनके मुखौटों को देख कोई भी समझ सकता है कि परदे के पीछे से कौन सी शक्तियां काम कर रही हैं. इन्होने भांप लिया कि जन-लोकपाल क़ानून सचमुच बन गया और लागू होने लग गया तो इन सबकी खैर नहीं. देश और जनता को लूटने के इनके धंधे पर पूर्ण विराम लग जाएगा. ऊपर से मिलने वाली सज़ा, करेला नीम चढा के मुहावरे को चरितार्थ कर देगी. ऐसा सोचकर इन भ्रष्टाचारियों की रूह अंदर से काँप उठी.

सो अब इनलोगों ने एक साथ दो काम करने शुरू कर दिये हैं. पहला तो यही कि आंदोलन को बदनाम करो और उसमें फूट डालो तथा आम लोगों को इसके अगुआ व्यक्तियों के प्रति इतना भ्रमित कर दो कि आइंदे वे लाखों-करोड़ों की तादाद में आंदोलन के साथ नज़र नहीं आयें. इस बारे में इस ब्लॉग में पहले भी बहुत कुछ लिखा जा चुका है. इस बार मीडिया की भूमिका पर विशेष रूप से लिखना निहायत जरुरी हो गया है.

भ्रष्टों की शक्तिशाली जमात ने मीडिया के प्रभाव को एक बार फिर देख लिया था. इसीलिए आंदोलन में फूट डालने और जनता में भ्रम फैलाने के लिए इसी मीडिया का दुरुपयोग शुरू किया गया. किसी भी आम भारतीय (जो समझदार, ईमानदार और चतुर है) के गले से यह बात नीचे नहीं उतर पा रही कि आखिर एक सरासर फर्जी-जाली बदमाशी की नीयत से जारी की गयी ऑडियो सीडी पर हमारी महान मीडिया इतनी चर्चा क्यों कर रही है!!! किसी भी ऐरे-गैरे के अनाम सीडी पर इतनी बड़ी-बड़ी लंबी बिल्कुल अनावश्यक बहस क्यों??!!

अर्णब गोस्वामी जवाब दें

क्या टाइम्स नाऊ के तेज-तर्रार अर्णब गोस्वामी इसका जवाब दे पाएंगे? सबसे पहले उन्हीं का नाम इसीलिए लिया गया, क्योंकि उन्हींके इस चैनल ने सबसे आगे बढ़कर अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का समझौताविहीन समर्थन किया था. हालांकि अन्य कई चैनलों ने भी बहुत ही अच्छा समर्थन दिया था, लेकिन अर्णब के चैनल की कोई सानी नहीं.

लेकिन बेचारे अर्णब को हुआ क्या है!! कल तो वे रविवार की छुट्टी मनाते रहे और आज (सोमवार) को जब वे नौ बजे के अपने खास कार्यक्रम में नज़र आये भी तो सिर के बल खड़े दिखाई दिये. आखिर वे क्या साबित करने के लिए यह परिचर्चा कर रहे थे? क्या उन्हें पता नहीं कि वो सीडी सिरे से ही फर्जी है. और बुरी नीयत के साथ जारी की गयी है. वो भी जन-लोकपाल विधेयक के लिए बनी समिति की पहली बैठक के ठीक एक दिन पहले उसे जारी किया गया. इस साजिश को राजनीति और कूटनीति का कोई भी बच्चा समझ सकता है, फिर अर्णब और उनका टाइम्स नाऊ क्यों नहीं समझ सका?

क्या इस नासमझी की वजह यह तो नहीं कि टाइम्स नाऊ की मूल कंपनी के तथाकथित बड़े अखबार ने भी उस सीडी को खरा बताते हुए खबर प्रसारित कर दी थी? ज़रूर वजह यही होगी. वर्ना अर्णब जैसा तेजस्वी पत्रकार ऐसी घिनौनी बहस नहीं करवाता. घिनौनी इसीलिए कि अरविन्द केजरीवाल जैसे भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा को ही कई बार उन्होंने कठघरे में खड़ा कर दिया था, जबकि विनोद शर्मा जैसे कांग्रेसी पत्रकार को खुलकर बोलने की इज़ाज़त दे दी गयी.

विनोद शर्मा की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न


जारी......

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