आज अन्ना हजारे ने पत्र द्वारा सोनिया गाँधी से इसका जवाब चाहा है. उनका सवाल है कि क्या वे यानि सोनिया कांग्रेस महामंत्री दिग्विजय सिंह के बयान से इतेफाक रखती हैं? गौरतलब है कि दिग्गी राजा ने समिति और इसके सदस्यों को बदनाम करने के लिए अनाप-शनाप आरोप लगाए थे, जिनके कोई प्रमाण पेश नहीं किये गए. न कोई हिसाब-किताब पेश किया गया. उनका यह भी कहना था कि अन्ना के अनशन के लिए ५० लाख रुपये खर्च हुए. जिस दिग्गी राजा को कांग्रेस सरकार के लाखों करोड के घोटाले दिखाई नहीं देते, उसे ५० लाख का खर्च खटकने लगा है. हैं हैरानी की बात! इसे कहते हैं चोर मचाये शोर!! और फिर उन्होंने इस ५० लाख का ब्योरा भी पेश नहीं किया है. ये पैसे कहाँ से आये, इस महान सज्जन दीग्गी को इस बात की भी जानकारी नहीं! किसी गंजेड़ी-भंगेड़ी की तरह वे कुछ भी अनाप-शनाप प्रलाप किये जा रहे हैं.
बहरहाल अन्ना हजारे ने सोनिया से पूछा है कि क्या वे दिग्विजय के उक्त बयान और चरित्र हनन अभियान से सहमत हैं? इस सवाल का जवाब सोनिया को देना ही होगा, वरना लोगों में यही सन्देश जाएगा कि खुद सोनिया और मनमोहन के इशारे पर यह साजिशाना मुहिम चल रही है.
इसके अलावा मनमोहन सिंह और राहुल गाँधी को भी चाहिए कि वे अपने भ्रष्ट कांग्रेसियों से ऐसी मुहिम बंद करने को कहें और जो लोग ऐसी मुहिम में शामिल पाए जाएँ उन्हें पार्टी से बर्खास्त करके उनकी पूरी संपत्ति पर जांच बिठा दी जाय. ऐसा करके ये लोग खुद को सचमुच का ईमानदार साबित करेंगे. और नहीं किया तो आम आदमी इन्हें भी भ्रष्टों की कतार में खडा देखेगा.
राहुल गाँधी हीरो बने बिना भी ऐसे षड्यंत्रकारी कांग्रेसियों की नकेल कस ही सकते हैं. काम पर यकीन करने वाले राहुल को यह काम तुरंत करना चाहिए. काम खुद दिखता है. वे काम करेंगे तो दिखेगा भी. आज तक उन्होंने कोई काम किया ही नहीं तो दिखता कैसे? है न! और जो दिख रहा है वो है महा-भ्रष्टाचार. कांग्रेस-संप्रग-मनमोहन-सोनिया-राहुल सरकार का महा-भ्रष्टाचार!!!
अब तो काम दिखाओ भई.
और एक हैं महाधूर्त सिब्बल. इनके चेहरे से ही धूर्तता टपकती है. एक तरफ अन्ना-अन्ना कहते उनकी जुबान नहीं थकती तो दूसरी और अन्ना यानि उनके आंदोलन के खिलाफ नित नए ज़हर उगल रहे हैं यानी लोगों में भ्रम फैलाने में लगे हुए हैं. अन्ना ने सोनिया से यह भी पूछा है कि क्या वे सिब्बल जैसों की बातों का समर्थन करती है? अगर नहीं तो उन्हें रोका क्यों नहीं जा रहा. सांड की तरह क्यों छुट्टा छोड़ रखा गया है. अगर अन्ना आंदोलन के विरुद्ध कांग्रेसी साजिश को तुरंत बंद नहीं किया गया तो जनता यही समझेगी कि इसे सोनिया का आशीर्वाद मिला हुआ है.
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