यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

मीडिया का शीर्षासन - भाग- ४

सरकारी सदस्यों पर मीडिया "मेहरबान" क्यों??

एक बात आम लोगों की समझ से परे है कि जन-लोकपाल विधेयक संबंधी समिति के सरकारी सदस्यों के प्रति मीडिया क्यों इतनी मेहरबान है. जबकि इनमें से दो-तीन सदस्यों पर कभी न कभी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. उनसे क्यों नहीं इस्तीफा माँगा जा रहा??

अमर सिंह जैसे दलाल किस्म के लोगों की बात जाने दें. ऐसे लोग अपने तथा अपने "मालिकों" के निहित स्वार्थों के लिए तथा भ्रष्टाचार को दबाने के लिए अन्ना विरोधी मुहिम में लगे हुए हैं. ऐसे लोगों या शक्तियों से भ्रष्ट मंत्रियों से इस्तीफे की मांग किये जाने की उम्मीद करना बेकार बात है. लेकिन अन्ना के आंदोलन को लगभग पूरी मीडिया द्वारा अपना समझौताविहीन समर्थन देने के बाद अब उसी मीडिया का एक हिस्सा आखिर क्यों भ्रष्ट मंत्रियों से इस्तीफे की मांग नहीं कर रहा, उलटे समिति सदस्यों पर कीचड उछालने की साजिश में शामिल हो गया है!!??

दिल्ली के कुछ बड़े अखबारों ने बाकायदा समिति सदस्यों के खिलाफ महा-अभियान छेड़ दिया है. कई चैनल भी सिर के बल खड़े दिखायी दे रहे हैं. ऐसा क्या हो गया? कल तक जो मीडिया शांतिभूषण और प्रशांत भूषण की तारीफ़ में ख़बरें प्रकाशित किया करती थी, वही मीडिया रातों -रात भूषणों के खिलाफ कैसे चली गयी? आम आदमी के पास इन सवालों का सीधा जवाब है, लेकिन मीडिया के पंडित इन्हें तवज्जो देने को तैयार नहीं. क्यों? इस का जवाब भी आम लोग जानते हैं.

सभी जानते हैं कि लगभग सारे बड़े अखबार और अधिकांश चैनल आम जनता के हितों के बजाय मुख्यतः बड़े सेठों के निहित स्वार्थों के लिए काम किया करते हैं. ये अखबार और चैनल इन्हीं महासेठों के दिये विज्ञापन से ही चला करते हैं. और इन अखबारों-चैनलों को चलाने वाले अधिकांश मालिक खुद बड़े सेठ हैं. इन दिनों भ्रष्टाचार के कुछ मामलों में कुछ उद्योगपतियों को तिहाड जेल जाते देख इन सबकी रूह फना हो गयी है. अगर अभी यह हाल है तो जन-लोकपाल क़ानून के बन जाने के बाद क्या होगा?

इसीलिए सारे बड़े सेठों, सत्ताधारी दलों-वर्गों और उनके दलालों ने एक मज़बूत चांडाल चौकड़ी बना ली है. जिसका एकमात्र लक्ष्य है, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को बदनाम करना और उसे कमजोर बनाना. इसी सिलसिले में सबसे पहला निशाना भूषणों को बनाया गया है. उसके बाद एक-एक कर तमाम वरिष्ठ सदस्यों को झूठे आरोपों से बदनाम केने की कोशिश की जाएगी. हालांकि अभी से अन्ना के खिलाफ भी मनगढंत कहानी-किस्से सुनाये जाने लगे हैं. दिग्विजय सिंह के बयानों से इसकी पुष्टि हो जाती है.

महासेठों का यह मीडिया हर हाल में भूषणों से इस्तीफा चाह रहा है. कहा जा रहा है कि देश में और भी अनेक अच्छे वकील हैं, उन्हें समिति में रखा जाय. इसकी क्या गारंटी है कि उन वकीलों के खिलाफ यह चांडाल चौकडी चरित्र हनन अभियान नहीं चलाएगी? वैसे एक जस्टिस हेगड़े को छोड़कर बाकी सब पर कीचड उछालना शुरू हो गया है.

जारी....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें