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गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

शेखर कपूर की एक कविता (अन्ना हजारे के लिए)

एक रोटी हमें भी दो

एक रोटी हमें भी दो
कुछ जीने का हक तो हमें भी दो

नहीं मांगते हम आपकी ऊंची इमारतें
थक जायेंगे जहाँ
अपने आप को ही ढूँढ़ते ढूँढ़ते
छू लेंगे हम भी आसमान को
अपनी ही औकात से

लेकिन

एक रोटी हमें भी दो
कुछ जीने का हक तो
हमें भी दो

आपके बच्चे फलें फूलें
विदेश जाके खूब घूमें
चेहरे पे उनके मुस्कराहट रहे
हमारे बच्चे तो चीखते रहे

एक रोटी हमें भी दो
कुछ जीने का हक तो

हमें भी दो

यह सुनामी जो लाये हैं
हमारे अन्ना
देश को बह ले जाएंगे
हमारे अन्ना
यह हवा जो चली है तूफ़ान बनकर
कहीं पेड़ को ही उखाड़ न दे
उसे जकड़ कर

इससे पहले कि हम सब बह जाएँ

एक रोटी हमें भी दो

कुछ जीने का हक तो
हमें भी दो

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