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रविवार, 12 जून 2011

अन्ना और बाबा के नाम एक पंखुडी

अन्ना और बाबा के नाम

पखुड़ी पाठक की कविता

मुझे खुद-सा बनाने वाले तुझे दिल याद करे


मेरी तकदीर की तस्वीर सजाने वाले

तुझे दिल याद करे.

मेरे मनमीत मेरा साथ निभाने वाले

तुझे दिल याद करे.

लग्न की डोर खुद से ऐसी बाँधी है

कि कोई इसे तोड़ ना सके.

आयें कितनी भी आंधियां

बनके फानूस हिफाजत मेरी करने वाले

तुझे दिल याद करे.

मेरी तकदीर की तस्वीर सजाने वाले

तुझे दिल याद करे.

नहीं कोई तुमसा प्यारा मुझे ज़माने में

कोई बसता है मेरे दिल के आशियाने में

ऐ खुदा दोस्त,

मुझे खुद-सा बनाने वाले

तेरा आभार करने

तुझे दिल याद करे.

(यह कविता अन्ना और बाबा को समर्पित है. जिन्होंने न जाने कितनों को भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में शामिल करके अपना जैसा बना लिया.)

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